बुधवार, 23 नवंबर 2011

रहा नहीं गया ..

काफी दिनों से सोच रहा था की मैं भी अपना ब्लॉग बनाऊँ और कुछ लिखूं. कई वजहों से ऐसा कर नहीं पाया. पर अब नहीं. अब मैं भी आ गया हूँ अपने मन की बात कहने के लिए. इन्टरनेट ने स्वतंत्र लेखन को एक नयी ऊंचाई और नया आयाम दिया है. इसी का फायदा मैं भी उठा रहा हूँ. यह जगह मेरी है और मेरी बातों के लिए है, यह एहसास अपने आप में बहुत ही सुखकर है. उतना ही सुखकर जितना किसी मनोहारी दृश्य को देखने के लिए कोई  सर्वाधिक उपयुक्त जगह मिल जाए. मैं भी अपने इस छोटी सी जगह को गाय के गोबर से नीपूंगा और अरिपन से सुसज्जित करूंगा. और फिर उस पर यथास्थान अपने मन की बातों को रखूंगा. अगर आप लोगों को अच्छा लगा तो उसे अपना सौभाग्य मानूंगा. आपकी आलोचनाओं को भी हम सहेजेंगें. और शायद वो मेरे सबसे अमूल्य धरोहर होंगें. 

1 टिप्पणी: