PRATIDHWANI

बुधवार, 30 अगस्त 2017

Hi friends. It has been too long since I have been here. No longer. I promise to return regularly to it.
प्रस्तुतकर्ता ASHOK JHA पर 8:43 pm कोई टिप्पणी नहीं:
इसे ईमेल करेंइसे ब्लॉग करें! X पर शेयर करेंFacebook पर शेयर करेंPinterest पर शेयर करें
नई पोस्ट पुराने पोस्ट मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें टिप्पणियाँ (Atom)

Feedjit

Feedjit

यह ब्लॉग खोजें

फ़ॉलोअर

ब्लॉग आर्काइव

  • ►  2018 (2)
    • ►  नवंबर (2)
  • ▼  2017 (1)
    • ▼  अगस्त (1)
      • Hi friends. It has been too long since I have bee...
  • ►  2012 (4)
    • ►  अगस्त (1)
    • ►  जून (1)
    • ►  जनवरी (2)
  • ►  2011 (3)
    • ►  नवंबर (3)

मेरे बारे में

मेरी फ़ोटो
ASHOK JHA
मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें

लोकप्रिय पोस्ट

  • मन में होता है
    मन में होता है  मैं चलता जाऊं  ऐसे ही  हवा के साथ  मैं बहता जाऊं  वेगवती  धारा के साथ  ऐसे ही  मैं किरणों को  आंजुर में उठाऊँ  और फेंक दूं ...
  • रहा नहीं गया ..
    काफी दिनों से सोच रहा था की मैं भी अपना ब्लॉग बनाऊँ और कुछ लिखूं. कई वजहों से ऐसा कर नहीं पाया. पर अब नहीं. अब मैं भी आ गया हूँ अपने मन की ब...
  • मुशरिफ पार्क की वह सुबह
    दुबई में लम्बी दौड़ की प्रतिस्पर्धा (मैराथन) के आयोजनों का सिलसिला शुरू हो चुका है. इसी क्रम में इस शुक्रवार 25 नवम्बर 2011 को मुशरिफ पार्क ...
  • My photos in 2012 Dubai Marathon
    My photos in 2012 Dubai Marathon : My photos in 2012 Dubai Marathon
  • हर दिन
    हर दिन जब दिन से छिन जाता है  उस दिन का सूरज शाम के दामन में  वह तोड़ देता है अपना दम  और पीछे छूट  जाता है  एक कोलाहल  ...
  • दम तोड़ता एक पुस्तकालय
    दरभंगा में ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के कैम्पस के नजदीक एक पुस्तकालय है. पुस्तकालय का होना तो आश्चर्य नहीं पैदा करता पर शनिवार के...
  • किसका हित देखें- देशी कंपनियों का या आम उपभोक्ताओं का ?
    कई बार किसी मुद्दे पर शोरगुल को जानबूझकर इतना बढाया जाता है की लोगों को यह पता नहीं लग सके की सच क्या है. मौके का फायदा उठाकर झूठ को सच बनाक...
  • (शीर्षकहीन)
    हम कहने रही अहाँ के ! -अशोक झा हम देखि रहल छी - हमर जीवनक एकटा पुरान अध्यायक अंतिम पृष्ठ एखनहि पढैत-पढैत अहाँ बेचैन भ उठलहुं अछि हम देख...
  • (शीर्षकहीन)
    कोजागरा और मिथिला अशोक झा  मैं मैथिल हूँ तो मुझे यह कहने का शायद पूरा हक है मुझे कि शरत पूर्णिमा का यह चाँद मिथिला से सर्वाधिक सुंदर...
  • (शीर्षकहीन)
    Hi friends. It has been too long since I have been here. No longer. I promise to return regularly to it.

Translate

लेबल

  • Society and Culture (1)

लोकप्रिय पोस्ट

  • मन में होता है
    मन में होता है  मैं चलता जाऊं  ऐसे ही  हवा के साथ  मैं बहता जाऊं  वेगवती  धारा के साथ  ऐसे ही  मैं किरणों को  आंजुर में उठाऊँ  और फेंक दूं ...
  • रहा नहीं गया ..
    काफी दिनों से सोच रहा था की मैं भी अपना ब्लॉग बनाऊँ और कुछ लिखूं. कई वजहों से ऐसा कर नहीं पाया. पर अब नहीं. अब मैं भी आ गया हूँ अपने मन की ब...
  • मुशरिफ पार्क की वह सुबह
    दुबई में लम्बी दौड़ की प्रतिस्पर्धा (मैराथन) के आयोजनों का सिलसिला शुरू हो चुका है. इसी क्रम में इस शुक्रवार 25 नवम्बर 2011 को मुशरिफ पार्क ...
  • My photos in 2012 Dubai Marathon
    My photos in 2012 Dubai Marathon : My photos in 2012 Dubai Marathon
  • हर दिन
    हर दिन जब दिन से छिन जाता है  उस दिन का सूरज शाम के दामन में  वह तोड़ देता है अपना दम  और पीछे छूट  जाता है  एक कोलाहल  ...
  • दम तोड़ता एक पुस्तकालय
    दरभंगा में ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के कैम्पस के नजदीक एक पुस्तकालय है. पुस्तकालय का होना तो आश्चर्य नहीं पैदा करता पर शनिवार के...
  • किसका हित देखें- देशी कंपनियों का या आम उपभोक्ताओं का ?
    कई बार किसी मुद्दे पर शोरगुल को जानबूझकर इतना बढाया जाता है की लोगों को यह पता नहीं लग सके की सच क्या है. मौके का फायदा उठाकर झूठ को सच बनाक...
  • (शीर्षकहीन)
    हम कहने रही अहाँ के ! -अशोक झा हम देखि रहल छी - हमर जीवनक एकटा पुरान अध्यायक अंतिम पृष्ठ एखनहि पढैत-पढैत अहाँ बेचैन भ उठलहुं अछि हम देख...
  • (शीर्षकहीन)
    कोजागरा और मिथिला अशोक झा  मैं मैथिल हूँ तो मुझे यह कहने का शायद पूरा हक है मुझे कि शरत पूर्णिमा का यह चाँद मिथिला से सर्वाधिक सुंदर...
  • (शीर्षकहीन)
    Hi friends. It has been too long since I have been here. No longer. I promise to return regularly to it.
Blogger द्वारा संचालित.